लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 ⤵⤵⤵⤵⤵


*लोकपाल की सेवा शर्तें और नियुक्ति:-*
*कौन होगा लोकपाल में:-*



*कौन नहीं हो सकता?*
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👉�संसद सदस्य या किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा का सदस्य








*चयन समिति:-*
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👉� प्रधानमंत्री- अध्यक्ष







👉�राष्ट्रपति द्वारा नामित कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति- सदस्य
अध्यक्ष या किसी सदस्य की नियुक्ति इसलिए अवैध नहीं होगी क्योंकि चयन समिति में कोई पद रिक्त था I
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*लोकपाल का अधिकार क्षेत्रः*⤵
लोकपाल कुशासन, अनुचित लाभ पहुंचाने या भ्रष्टाचार से संबंधित मामले जो किसी मंत्री या केंद्र या राज्य सरकार के सचिव के अनुमोदन से की गई प्रशासनिक कार्रवाई के खिलाफ में पीड़ित व्यक्ति द्वारा लिखित शिकायत किए जाने पर या स्वतः संज्ञान लेते हुए, जांच कर सकता है। लेकिन लोकपाल पीड़ित व्यक्ति को अदालत या वैधानिक न्यायाधिकरण से मिली किसी भी फैसले के संबंध में किसी प्रकार की जांच नहीं कर सकता है।
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*लोकायुक्त के कार्य –
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1⃣ कुशासन की वजह से न्याय और परेशानी संबंधी नागरिकों की 'शिकायतों' की जांच।
1⃣ कुशासन की वजह से न्याय और परेशानी संबंधी नागरिकों की 'शिकायतों' की जांच।
2⃣ सरकारी कर्मचारी के खिलाफ पद का दुरुपयोग, भ्रष्टाचार या ईमानदारी में कमी के आरोपों की जांच करना। शिकायतों और भ्रष्टाचार उन्मूलन के संबंध में इस प्रकार के अतिरिक्त कार्य की जानकारी राज्यपाल द्वारा निर्दिष्ट अधिसूचना से दी जा सकती है।
*अतिरिक्त कार्यों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं– 🔽🔽
*क)*भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों, अधिकारियों और प्रस्तावों की जांच का पर्यवेक्षण।
*ख)*"यद्यपि" अधिनियम में उल्लिखित नहीं होते हुए भी उसमें निहित, राज्यपाल को जरूरत हो तो आदेश द्वारा किसी भी कार्रवाई की जांच करना।
राज्यपाल के अधिनियम के तहत लोकायुक्त और उपलोकायुक्त को उनके कार्यों के प्रदर्शन पर वार्षिक समेकित रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। प्रो. एस.एन. हेगड़े बनाम लोकायुक्त, बैंगलोर और अन्य के मामले में, बैंगलोर लोकायुक्त अधिनियम के तहत लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र के बारे में एक महत्वपूर्ण प्रश्न सामने आया।
इस मामले में, अगर लोकायुक्त को मुख्यमंत्री, मंत्री या सचिव या राज्य विधायिका के सदस्य के अलावा किसी भी सरकारी अधिकारी के खिलाफ की गई शिकायत पर गौर करना और उसकी जांच करना हो तो बिना राज्य सरकार की अधिसूचना के वह अपना काम शुरु नहीं कर सकता। अधिनियम के प्रावधानों के तहत लोकायुक्त के पास उप–कुलपति के खिलाफ की गई शिकायत की जांच करने का भी अधिकार नहीं है।
ऐसे अधिकार पर विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 14 के तहत स्पष्ट रूप से रोक लगा दी गई है इसलिए लोकायुक्त के पास अधिसूचना के तहत उनके खिलाफ शिकायतों की जांच करने का अधिकार नहीं है।
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लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम-2013 के मुख्य प्रावधान:*
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लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम-2013 के मुख्य प्रावधान:*
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1⃣अधिनियम के अनुसार लोकपाल केंद्र स्तर का और लोकायुक्त राज्य स्तर पर होगा ।
2⃣ लोकपाल में एक अध्यक्ष के साथ अधिकतम आठ सदस्य हो सकते हैं जिनमें से 50फीसदी सदस्य न्यायिक पृष्ठभूमि से होने चाहिए ।
3⃣अधिनियम के मुताबिक लोकपाल के कुल सदस्यों में से 50फीसदी सदस्य अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं में से होने चाहिए ।
4⃣लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन एक चयन समिति के जरिए किया जाना चाहिए जिसमें भारत के
प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता, भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामांकित सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश शामिल होंगें।
इसके बाद भारत के राष्ट्रपति चयन समिति के पहले चार सदस्यों की सिफारिशओं के आधआर पर प्रख्यात विधिवेत्ता को नामित करेंगे ।
5⃣ प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाया गया है ।
6⃣ लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में लोक सेवक की सभी श्रेणियां होंगी ।
7⃣इसके दायरे में विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के संदर्भ में वे कोई/सभी संस्थाएं होंगी जो विदेशी स्रोतों से 10 लाख रुपये से ज्यादा का दान लेगीं।
8⃣अधिनियम के तहत ईमानदार और सीधे–साधे लोक सेवकों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाएगी ।
9⃣ अधिनियम लोकपाल को अधीक्षण का अधिकार और विभिन्न मामलों में सीबीआई समेत किसी भी जांच एजेंसी को निर्देशित करने का –चाहे वह लोकपाल ने खुद जांच एजेंसी को ही क्यों न दिया हो, अधिकार प्रदान करता।
1⃣0⃣ सीबीआई के निदेशक की सिफारिश उच्च शक्ति समिति द्वारा भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में की जाएगी।
1⃣1⃣ अभियोजन के निदेशक के नेतृत्व में अभियोजन निदेशालय को निदेशक नियंत्रित करेंगे।
1⃣2⃣ केंद्रीय सतर्कता आयोग अभियोजन निदेशक, सीबीआई की नियुक्ति की सिफारिश करेंगें।
1⃣3⃣ लोकपाल द्वारा संदर्भित मामलों की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों के तबादले के लिए लोकपाल की मंजूरी की जरूरत होगी
1⃣4⃣ अधिनियम में भ्रष्ट तरीकों से अर्जित की गई संपत्ति को जब्त करने का भी प्रावधान है चाहे अभियोजन का मामला लंबित ही क्यों न हो।
1⃣5⃣ अधिनियम में प्रारंभिक जांच और ट्रायल के लिए स्पष्ट समय सीमा निर्धारित की गई है। ट्रायल के लिए विशेष अदालतों की स्थापना का भी उल्लेख है।
1⃣6⃣ इसमें अधिनियम के लागू होने के 365 दिनों के भीतर राज्य विधानमंडल द्वारा कानून के अधिनियमन के जरिए लोकायुक्त संस्था की स्थापना का उल्लेख भी किया गया है ।
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